बालकों को अभिप्रेरित करने के उपाय
शिक्षा में अभिप्रेरणा की महत्ता स्पष्ट हो जाने के बाद प्रश्न आता है कि शिक्षा के प्रति
बालकों को किस प्रकार से अभिप्रेरित किया जाये। इसके लिए शिक्षक को उन सभी प्रविधियों
(Techniques) की जानकारी होनी चाहिए जिनके द्वारा प्रेरणा को नियंत्रित करके शिक्षण प्रक्रिया
(Learning Process) को अधिक से अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। वस्तुतः शिक्षक की
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि वह विद्यार्थियों में अपने पाठ्य-विषय को समुचित ढंग से पढ़ने
की आवश्यकता, जिज्ञासा तथा अभिरुचि उत्पन्न करके, शिक्षा के वांछित उद्देश्यों की पूर्ति में उनकी
सहायता कर पाते हैं या नहीं। शिक्षक इस हेतु अग्रांकित उपायों का उपयोग कर सकते हैं-
1. सीखने की आवश्यकता वस्तुतः शिक्षण अधिगम का मूल स्रोत होता है। अत: छात्रों को अपने
पाठ्य विषय की ओर प्रेरित करने के लिए यह जरूरी है कि वे अपने अध्ययन की आवश्यकता समझ सकें
परम आवश्यक है
2. छात्रों को विश्वास दिलाया जाना चाहिये कि शैक्षिक प्रगति के लिए अध्ययन-मनन की इच्छा
3. छात्रों की शैक्षिक प्रगति के मापन के लिए उचित विधियों का प्रयोग किया जाये और समय-
पर प्रगति की जानकारी उसे दी जाये
4. छात्रों को अपनी सफलता को आगे भी जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाये जिससे व
महसूस करे कि उसे प्रगति करनी है
5. छात्रों अवगत कराया जाना चाहिये कि दूसरे छात्रों की प्रगति उसकी प्रगति से कहीं अधिक हो
सकती है। उनमें आत्मविश्वास विकसित किया जाये जिससे वे और अधिक प्रगति के लिए क्रियाशील बनें
6. छात्रों के अभिलाषा स्तर व उपलब्धि स्तर में अधिक अन्तर नहीं होना चाहिए। हता
बचने
के लिए दोनों स्तरों में यथासम्भव सन्तुलन रखा जाये
7. पाठ्य विषय का उद्देश्य स्पष्ट एवं निश्चित होना चाहिए ताकि छात्र उस ओर प्रेरित त
आकर्षित हो सकें
8. अच्छी प्रगति के लिए छात्रों को समुचित पुरस्कार दिया जाना चाहिए ताकि वह अपने पाठ्यविष
में और भी अधिक रुचि ले सकें तथा अपनी शैक्षिक प्रगति को कायम रखने का प्रयास करें
9. शिक्षक को सदैव स्मरण रखना चाहिए कि कभी-कभी खासकर छोटे बालकों के लिए मौखि
पुरस्कार अथवा प्रशंसा की अपेक्षा आर्थिक पुरस्कार (Material Reward) अधिक उपयोगी होते हैं
10. असन्तोषजनक प्रगति के लिए छात्रों को दण्ड दिया जाना चाहिए जिससे वह अपने में सुधा
ला सके और अपने पाठ्य विषय को सही तौर पर पढ़ सके
11. शारीरिक तथा मौखिक दण्ड के उपयोग के पूर्व शिक्षक को चाहिए कि वह छात्रों के संवेगात्म
स्तर को ध्यान रखें
12. छात्र अपने पाठ्य-विषय के प्रति प्रेरित हो सके तथा ज्यादा से ज्यादा अभिरुचि ले सके इसके
लिए कभी-कभी स्पर्धा का प्रयोग भी आवश्यक है। लेकिन शिक्षक को चाहिए कि वह स्पर्धा को ईर्ष्या
के रूप में प्रयोग न होने दें बल्कि स्वस्थ प्रतियोगिता के रूप में इस्तेमाल करें
13. छात्रों में पढ़ने की प्रेरणा उत्पन्न करने के लिए यह भी आवश्यक है कि चलचित्र, हास्य ना
चित्रपट, आकाशवाणी आदि श्रव्य-दृश्य सामग्री (Audio-Visual Aids) का पूर्ण प्रयोग शिक्षालय में हो
14. बालकों की शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों को कक्षा में विविध उदाहरणों से
विषय वस्तु को समझाना चाहिए तथा विभिन्न परिस्थितियों में अभ्यास के लिये पर्याप्त अवसर देना चाहि
15. शिक्षकों को किसी विषय को इस ढंग से पढ़ाना चाहिए और ऐसी क्रियाओं पर बल देना
चाहिए जो वर्ग में पढ़ाये गये विषय का स्थानान्तरण सहज रूप से व्यावहारिक जीवन में हो सके
16. कक्षा लेते समय शिक्षकों को सामान्य सिद्धान्तों की शिक्षा देनी चाहिए जिससे वे अपने
ज्ञान का उपयोग आवश्यकता के अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में करके लाभान्वित हो सके तथा
स्थानान्तरण सहज रूप से सम्भव हो सकेगा
17. बालकों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने हेतु एक आवश्यक बात यह है कि पाठ्यक्र
निर्धारित करते समय चालकों की वैयक्तिक भिन्नताओं को ध्यान में रखा जाये